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Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता......शिकायत

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                               Hindi poem, Hindi kavita , हिंदी कविता                                                                               शिकायत                                                                                 तुझ से शिकायत कि जरूरत नही मेरे दिल ने फरमान सूनाया, तू बेवफा ,तू  बेवफा तेरी चाहतपण  मे वो अपनापन नही तू मेरा नही तू मेरा नही रिश्ता हमारा दूरी में बदल गया है तू मुल्ज़िम सही ,तू मुल्ज़िम सही . क्या  डोर हमारी तुम्हारी प्यार कि  ईतनी  कमज़ोर थी कि वो कूछ  पल में टूट गई, तुझ पर येकिन नहीं, तूझ पर येकिन नहीं ऐसा दिल पर घात हुआ है , ज़िंदगी बरबाद हुई ,ज़िंदगी बरबाद हुई ऐसे  मुसाफ़िर हैं हम, रास्तों में उलजी सुलजी मंज़िल ढूंढते  रहे घर मेरा तेरे यादो से सजा था, अब मै बेघर सही ,अब मै बेघर सही रोज़  हम  तेरे गलियों से गुज़रते  है पर तू नज़र नहीं आती अब मुझे से                दूर ही सही दूर ही  सही .. . .. . by Sanjay Teli