Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता......अकेला
Hindi poem, Hindi kavita , हिंदी कविता अकेला जाने कितने महफ़िलो से होके गुजरे , फिर भी अकेलेपन ने दस्तक दी, अपनो से बाते होती रही , पर राते गैरो के साथ गुज़री हैं डर अब लगता नाही, इतने आघात दिल पर हुये है रात की खामोशी कहती है की , गलियों होकर तन्हाई गुज़रती है और कितने सताएगी ज़िन्दगी, इम्तिहान और कितने देने होंगे बात अब समझ आयी कुच्छ तो थी हमें कमी, जो किस्मत ने मेरी साथ छोड़ी जाने कितने महफ़िलो से हो के गुज़रे, अब चेहरे जाने पहचने नही लगते.. .. by sanjay Teli love hindi shayari then just click on 👇 https://shayaridilke.blogspot.com