पैगाम प्यार का .......................... Hindi poem,Hindi kavita,हिंदी कविता, hindi kavitayen
 
    Hindi poem,Hindi kavita,हिंदी कविता,Hindi   Hindi kavitayen पैगाम प्यार का  खुशियाँ मिलेंगी  ज़िंदगी भर  सोचा नहीं था   होंगे सपने वो पुरे जो देखते थे  दिन और रात भर  ये क्या कमाल होगया रब दुनिया जादू भरी लगने लगी   जो बरसाया है खुशियो का पैमाना हम से कैसे संभलेगा  निगाहो का मिलना क्या था तुझ से जुड़ ने का इशारा  प्यार को  कहते है क्या रंगीन दुनिया  तलब सी लगी है तेरी बस ये तेरी दीवानगी  तब से है आया  है उसका मिलने का पैगाम तब से है मचले मचले अरमान,,,,,,,, होगी कैसी मुलाकात  देखने को है  मुझ से चुप चुप कर , खुलकर   या ज़माने से  डर डर कर होगा प्यार का समा  दिल को कैसे  सँभालु तुझे देखकर बेकरार   ना हो जावु  मिलने का  ये सुरूर कहीं मुझे पागल ना बनाये   आया  है उसका मिलनेका पैगाम तब से है मचले मचले अरमान                                    ...