Hindi poem,Hindi kavita,हिंदी कविता,..........सुन मेरी सखी
Hindi poem,Hindi kavita,हिंदी कविता सुन मेरी सखी सुन मेरी सखी तू रुठे ना कभी ,अगर तू रूठी तो दिल को मेरी फीर से ना प्यार सीखाना अब मेरे आलम में बस तेरा पेहरा रहता है दर्द भी होता तो तेरे साथ हो तो वो जाने कहा गुम हो जाता है बनगया है अब तेरे मेरे प्यार के अफ़साने कुछ दूरी ना गवारा है मुझ को , तुम जो मेरे पास बस यही मेरी खुशी तुझे उजालो में या अँधेरे में ढूँढू कुछ फर्क नहीं पड़ता चेहरा तेरा सब से खास बस देखू तुझे बार बार किसी मोड़ पर नहीं हरपल साथ मांगता हु तेरा सुन मेरी सखी तू रुठे ना कभी ,अगर रूठी कभी तू........ जीये हम फिर भी ना सुकून मिला बस आसपास होना तेरा मुझ को भाया बात तू समझ गयी है ना मेरी दोर हो तुम भले वो नाज़ुक हो बीत जायेंगे मीठे ये पल बस रहेंगे यादो का रेला हो तू मेरे दिल में फिर भी है गहरी प्यास सुन मेरी सखी तू रुठे ना कभी ,अगर तू रूठी तो......... poem by Sanjay T * * * * * * visit my youtube channel for Shayari video channel name is