Hindi Kavita || shayari || poetry

Hindi Kavita || shayari || poetry बस चल दिया मै अपनी ही धुन में बस चल दिया मै अपनी ही धुन में रु रु रु हूं हूं हूं वो वो वो बस चल दिया मै अपनी ही धुन में ख्वाबों का परिंदा उड़ चला सपनों को लेकर पर ये दुनिया हकीगत से चलती है देखो ख़ाइशो के बादल कैसे घिर कर आए मन मेरा खुश है ये देखकर बस चल दिया मै अपनी ही धुन में रु रु रु हूं हूं हूं वो वो वो अरमान को खिलते देख रहा है सोच हमारी बड़ी नेक है सब के लबो पर मुस्कान खिले ये भी तमन्ना बस चल दिया मै अपनी ही धुन में मौसम देखो कितना सुहाना है दिल भी बेफिक्र है ओस की बूंदों में ये डूबा है समा बस चल दिया मै अपनी ही धुन में क्या करे इस दीवाने का सपना है जो आंखों में लेकर चला है मंज़िल मेरी गुम सी लगती है कितनी बार ढूंढा छू कर निकल गई फिर भी फिक्र नहीं मुझे इन बातों से बस चल दिया मै अपनी ही धुन में रु रु रु हूं हूं हूं वो वो वो कभी आसु का सहारा कभी हार का हौसला फिर से उभर कर जो निकला बड़ा जीत की और एक दिन वो म...