Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता...........एक खामोश डगर
Hindi poem, Hindi kavita , हिंदी कविता एक खामोश डगर एक खामोश डगर तन्हा ये सफर होना नही था कितनी दूरी ना हमने ये जाने की कोशीश किई बस उठते रहे कदम और चल दिये ना थामा हाथ किसी का हुआ सफर सुरू बातो बातो में मन मे है मन्ज़िल की चाह , इतना नही भी नही जल्दी जो सोचा वो मीलेगा वक्त जब हो मेहराब , एक खमोश डगर,... बदले बदले चेहरे मिले ,कैसे थे गहरी सोच में गुम था में जाने कहा ,आवाज़ देकर उसने जगाया तुम पुकारो मूझको अपना समझकर करलो यकीन मीलिगे अपनेपन का यहासास सोचना तुम में...