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इश्क बदनाम है जाने कब से... poetry/Shayari

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इश्क बदनाम है जाने कब से... poetry/Shayari  इश्क बदनाम है जाने कब से.. poetry.. shayari   दिल मेरा दिल ना रहा  तेरा हो गया जब से मुलाकातों का आगाज़ हुआ इश्क बदनाम है जाने कब से  फिर भी दिल खो जाने का सिलसिला कम ना हुआ इश्क बदनाम है जाने कब से  आय दिन सुनते है किस्से मोहब्बत के तुम्हें भी होगा इश्क एक दिन ज़रूर  दिल मेरा दिल ना रहा  पता है तुम हमे जानती नहीं हो ये तो पहली मुलाकात है  अब तक दिल धड़का नहीं वो एहसास जगा नहीं   आवाज़ दिल से उठी नहीं बस इंतज़ार है तेरे इकरार का फिर तो हम उम्र भर के साथी  दिल मेरा दिल ना रहा  तेरा हो गया जब से मुलाकातों का आगाज़ हुआ देखो कुछ तो होने लगा   दिल की धड़कन कहती है  अब साथ साथ रहने की वजह मिल गई है  दिल मेरा दिल ना रहा  कुछ नहीं तू अब ज़िंदगी बन गई है  कितनी खूबसूरत तस्वीर है  रंग तो देखो कैसे कैसे निखर के आए है  चाहत वफा और अपनेपन के दिल मेरा दिल ना रहा  अब मन ना बदलेगा तू ही मेरा साथी बनेगा  हा हा ये इरादा कर लिया दिल मेरा दिल ना रहा...