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मार्च 7, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता...........मुस्कुराती काली

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Hindi poem, Hindi kavita , हिंदी कविता मुस्कुराती काली                                                                                     मुस्कुराती काली खिली और सोचन लगी   आज़ किस  भगवान के गले का हर बनुगी,या चरणों मे पड़ी रहूँगी   या किसी रूटी हुई मेंहबूबा को मनाऊंगी   या किसी सुहागन के ज़ुल्फो में सज़ुगी  या नई दुल्हन के हर में इतराऊँगी  या किसी बीमार इंसान के फूलो क़े गुलदस्तों में बाहार लाऊंगी  या किसी नेता के हर की शान बनुँगी   या  किसी कि अर्थी मे रोऊंगी  या सारा दिन किसी की राह दखते ऐसी हि मुरझाके  टूट पडूँगी  मुस्कुराती काली  सोचन लगी.                                   ...