मोहब्बत मेरी ... poetry/ kavita /shayari
मोहब्बत मेरी इस कदर होगी मोहब्बत मेरी तू रोख ना पायेगी चाहत मेरी बस इश्क को मुझे बढ़ाना है तुझे दिल मे बसा कर रखना है वफा पर कोई आच आने ना दूंगा इस कदर होगी मोहब्बत मेरी तू रोख ना पायेगी चाहत मेरी ज़िंदगी मे सदा तुझे देखा करूँ और कितने अरमान है क्या तुझे बतावू तू मेरा जहाँ तू मेरा साया इस कदर होगी मोहब्बत मेरी तू रोख ना पायेगी चाहत मेरी तू मुझे भूले ना ये है मेरी दुआ वरना क्या रखा है जीने में तेरे सिवाय खुशिया जो मुझे मिली है भर भर के इस कदर होगी मोहब्बत मेरी तू रोख ना पायेगी चाहत मेरी इस मे तेरा ही तो हिस्सा है अब कोई जुदाई का किस्सा ना होगा बस रहू तेरे साथ हमेशा के लिये इस कदर होगी मोहब्बत मेरी तू रोख ना पायेगी चाहत मेरी. Poem by Sanjay T