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Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता..........वादे

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Hindi poem, Hindi kavita , हिंदी कविता वादे  टूटकर  बिखर  गया हूँ  मै तू  आजा ना  मुझे संभालने के लिये  बस प्यार की  है  आस और कोई नहीं दूजा एहसास  क्यू बनगई है तू ऐसी जो कभी नही सोचा था  कहा है प्यार के वादे तू क्यू ना समझ पाई साथी   बेगैरत तो हे ज़माना पर तू क्यू बना ऐसा जैसा नहीं था मेरा यार राह ना  बनजाये  बेवफा जो तेरी और बढ़ रही है  ताकी चल सकूँ  इसे और पास आजावु तेरा बनकर  आँखो में तेरे कुछ अपनापन खो सा गया है  डर लगता है तू दूर जायेगा मुज़से रूठ कर  टूटकर  बिखर  गया हूँ  मै आजाना  मुझे संभालने के लिये ,,,,,,,, इतना आसान होता की  तू  मान जाती और मेरी बाहो में होती  बारिश का मौसम भी आया हे पर पतझड़ सा लगता है समा  अब कैसे सपने मेरी आँखो में चमकेगे , अब  तो आँसु  का सावन रहेगा   बस रहगया है दर्द का सहारा जो ना था कभी सोचा  देखो ना.... टूटकर  बिखर  गया हूँ  मै आजाना  मुझे संभालने के लिये ,,,,,,,    ...