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मैं और तुम .......Hindi poem,Hindi kavita,हिंदी कविता,Hindi kavitayen

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Hindi poem,Hindi kavita,हिंदी कविता, Hindi kavitayen   मैं और तुम  अभी शाम गुज़ाकर आया  हूँ  तेरे संग फिर क्यू बाते होती रही देर रात तक  मोबाइल पर  जब साथ तेरे होता हूँ  मै और तुम  का मसला नहीं  तब एक होकर बाते करते है  जब दर किनारा किया था  दुनिया ने  मुझे   तूने जब से कहा   में और तुम   चलेंगे साथ साथ  ज़िंदगी के सफ़र में  तब से जीने की नई उम्मीद जागी  वक़्त  को भी  मोड़ दूँगा अगर ऐसा पल आये  जो तेरा साथ छोड़ने को मजबूर  करे   सोच मेरी अब बस  तेरे तक है और  पानी की तरह  साफ़ है होंगे   मेरे अच्छे करम जो नवाज़ा मुझे कायनात  ने  तुझे  भीड़ में जब  चलता हूँ तब बस मै और तुम होने का एहसास  होता है तू कर ले  मुझ पर भरोसा ये एक आशिक की  दरखास्त  है  देखो   होगा तुझे यकीन हुये आज से हमेशा की लिये    "मैं और तुम"  नहीं नहीं "हम "             ...