Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता............गम कि सहर
Hindi poem, Hindi kavita , हिंदी कविता गम कि सहर हम गम को सेहते है अपनों के लिये पर अपने तो दूर नज़र आते है बात दिल की कहो तो लब क्यू थर थराते है सुनेवाले भी अनसुना करते है ऐसा लगता है बरसो पुरना साथ छूट जायेगा ईतना गहरा रिश्ता टूट जायेगा इसिलये तेरे निशानी को सहजकर रखा है तेरे कदम मेरे गलियों कि तरफ बड़े थे पर वापस मुड़े हुये नज़र आते हे नारजगी तेरी बातो में नज़र आती है रूटी हुई हर शाम बार बार कहती हे पर जुडा था हमारा रिस्ता एक मुलाकत से पर वो तो टूटने लगा अब कही मुलाकातों से दूर बस दूर नज़र आता है तेरा मेरा साथ अब मुश्किल है तेरा मेरा साथ जुड़ना हम गम को सेहते है अपनों के लिये ...... by Sanjay T eli visit my youtube channel for Shayari v...