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Poetry on life

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Poetry on life मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है    मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है  जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है  मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है  जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है  सीधी बात करना चाहता हु ये ज़िंदगी तुझ से सवाल करना चाहता हू किसी को बेहद ज्यादा खुशी मिलती है  तो किसी का दर्द का सागर झलकता है  मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है  जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है  सोचता हु कैसा होता है रास्ता मंज़िल का  सफर में कभी ये मोड़ आते है बस थका हुआ लगता हु खुद को फ़र्ज़ निभाती हवा देखो  कैसे हर दिशा बहती है   नदी भी बिना किसी आस के  सब की प्यास बुझाती है मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है  जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है  सूरज की रोशनी से जाग जाता है सारा जहां चांद की चमक से जगमगाता है आसमान ये क्यू हो रहा है बता ये ज़िंदगी  मन में जाने कैसी उलझन है  मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है  जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है  जब...