Poetry on life
Poetry on life
मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है
मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है
जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है
मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है
जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है
सीधी बात करना चाहता हु
ये ज़िंदगी तुझ से सवाल करना चाहता हू
किसी को बेहद ज्यादा खुशी मिलती है
तो किसी का दर्द का सागर झलकता है
मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है
जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है
सोचता हु कैसा होता है रास्ता मंज़िल का
सफर में कभी ये मोड़ आते है
बस थका हुआ लगता हु खुद को
फ़र्ज़ निभाती हवा देखो
कैसे हर दिशा बहती है
नदी भी बिना किसी आस के
सब की प्यास बुझाती है
मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है
जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है
सूरज की रोशनी से जाग जाता है सारा जहां
चांद की चमक से जगमगाता है आसमान
ये क्यू हो रहा है बता ये ज़िंदगी
मन में जाने कैसी उलझन है
मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है
जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है
जब भी थका होता हु कदम मेरे
समंदर की और बढ़ते है
मन की सारी बाते बया होती है
ज़िंदगी के ये रंग भी अजीब से है
खुशी के ख्वाबो को हम कैसे बूंदते है देखो तो
हर घड़ी गम होते हुए मुस्कुराते है.
मन में मेरे देखो तो क्या चल रहा है
जो मेरे सामने हो रहा है वो अलग सा क्यू है
Poem by Sanjay T
Shayari ye Andaz…Sanjay T
For shayari & poetry video
▶️ “Shayari ye Andaz”
https://www.youtube.com/@ShayariyeAndaz
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