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फ़रवरी 17, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता......गमनीशा

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Hindi poem, Hindi kavita , हिंदी कविता     गमनीशा  शर्तो का अंबार लगा है  उलझनों की दुकान सजी है आरमनो का दम निकल गया है     मन मे खूशीयो का असर है या गम का  सपनो का नामो निशान नहीं है याद नही मुझे लबो की मुस्कान कब आई थी  गुज़रेंगे ये पल जो  दर्द भरे होकर आये  है  क्या इन को भूलकर जिन्दगी  गुज़ारू में  तू रोज़ आती थी सुहानी शाम बनकर  अब झलकता हाथो से नशेभर जाम बनकर  कुछ पल का था क्या प्यार मेरा सनम  तु ही था किस्मत का सितारा जो चमकता था हरपल  अब ठहरा  ठहरा सा लगता  हरपल  मन भी मुर्जया सा रहता जाने कैसा है असर  नाम तेरा भूलना है सोचता हु  पर  जब तक ना सोचु तुझे , आँख मेरी भरी रहती है  शर्तो का अंबार लगा है , जान मेरी अब मेरी नहीं है                                by Sanj...