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खुश हु में तुझ से मिलने के बाद.... poem|| Kavit

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  खुश हु में तुझ से मिलने के बाद.... poem|| Kavita खुश हु में तुझ से मिलने के बाद ये अरमान जगा तेरा बनकर रहू सदा  ये जो तेरी आंखे है मेरा तो बस ये ही जहां है  कही भी में गुम हो जावु ढूंढ लेती है. तुझ से जुदा होने का कही बार फैसला ये किया पर हर बार तेरे नज़रों से नज़रे मिलते ही  तेरा बन जाता हु  खुश हु में तुझ से मिलने के बाद ये अरमान जगा तेरा बनकर रहू सदा  अब आदत मुझे ये हो गयी तेरी  तस्वीर से जो जुड़ा  तब से जहां मेरा हो गया  ज़ुल्फे तेरी जब लहराती है हवा में मदहोश सा हो जाता है दिल मेरा  खुश हु में तुझ से मिलने के बाद ये अरमान जगा तेरा बनकर रहू सदा  तेरा नाम बार बार पुकारते है रहे पास या दूर बस तुझ को याद किया करते है संभल जाते हे तेरी बाहों में  सफर जब होता हे ज़िंदगी का कठिन दौर से  खुश हु में तुझ से मिलने के बाद ये अरमान जगा तेरा बनकर रहू सदा  हमारी रातों की निंद चुरा ले गए बेचैनी तड़प ये कैसे मुझे दे गए अब ये ना होगा तुझ से  कभी न ये दीवाना रूठेगा तू मेरी प्यार की कहानी तू ही मेरा जीवन  खुश हु में तुझ स...