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Poetry || Shayari…in Hindi क्या ये थी मेरी खता

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 Poetry || Shayari…in Hindi  क्या ये थी मेरी खता                                         क्या ये थी मेरी खता  मेरा पता तेरे नाम का बन गया वफा को ही सब कुछ समझा  तुझे बस चाहतो में रखा क्या ये थी मेरी खता  जहाँ से गुज़रा तुझे ही पाया ज़िंदगी को तेरे नाम से जिया रूठे थे पल तेरे लिए ही मनाया  क्या ये थी मेरी खता  तू खुश रहे बस यही चाहा कितने देर तक तकता रहता  वक्त से पहले तुझे मिलने आया क्या ये थी मेरी खता  फिर भी देर हो गयी  तू मुझ से बोहत दूर चली गयी क्या ये थी मेरी खता .             Poem by Sanjay T