Poetry in Hindi || Kavita in Hindi || shayari ....मौसम का फलसबा
Poetry in Hindi || Kavita in Hindi || shayari मौसम का फलसबा ठंडी हवाएं मन गुनगुना ता है कहता है चलो ढूंढे नए रास्ते मौसम का अजीब सा फलसबा है ओस में डुबा सारा ज़माना है ऊन के कपड़े डटकर तैयार है पहनने को लोग बेकरार है आते है दूर से पंछी ये जाबाज़ हमेशा का ठिकाना है लगता उन्हें घर का एहसास आग की आच पर तप रहे बदन चादर ओढ़े घूम रहे लोग चाय के प्याले के साथ दिन गुज़रता है पानी की बोतल वैसी ही भरी नज़र आती हैं ऐसी ही चलती रहेगी ज़िंदगी. Poem by Sanjay T