Hindi Kavita || shayari || poetry
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बस चल दिया मै
अपनी ही धुन में
बस चल दिया मै
अपनी ही धुन में
रु रु रु हूं हूं हूं वो वो वो
बस चल दिया मै
अपनी ही धुन में
ख्वाबों का परिंदा उड़ चला
सपनों को लेकर
पर ये दुनिया हकीगत से चलती है
देखो ख़ाइशो के बादल
कैसे घिर कर आए
मन मेरा खुश है ये देखकर
बस चल दिया मै
अपनी ही धुन में
रु रु रु हूं हूं हूं वो वो वो
अरमान को खिलते देख रहा है
सोच हमारी बड़ी नेक है
सब के लबो पर मुस्कान खिले
ये भी तमन्ना
बस चल दिया मै
अपनी ही धुन में
मौसम देखो कितना सुहाना है
दिल भी बेफिक्र है
ओस की बूंदों में ये डूबा है समा
बस चल दिया मै
अपनी ही धुन में
क्या करे इस दीवाने का सपना है
जो आंखों में लेकर चला है
मंज़िल मेरी गुम सी लगती है
कितनी बार ढूंढा
छू कर निकल गई
फिर भी फिक्र नहीं मुझे इन बातों से
बस चल दिया मै
अपनी ही धुन में
रु रु रु हूं हूं हूं वो वो वो
कभी आसु का सहारा
कभी हार का हौसला
फिर से उभर कर जो निकला
बड़ा जीत की और
एक दिन वो मिल जाएगा
रु रु रु हूं हूं हूं वो वो वो
जो मैंने सोचा
यकीन मेरा बुलंद है
बस चल दिया मै
अपनी ही धुन में
रु रु रु हूं हूं हूं वो वो वो.
.........Poem by Sanjay T
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