पैगाम प्यार का .......................... Hindi poem,Hindi kavita,हिंदी कविता, hindi kavitayen

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पैगाम प्यार का 

खुशियाँ मिलेंगी  ज़िंदगी भर  सोचा नहीं था 

 होंगे सपने वो पुरे जो देखते थे  दिन और रात भर 

ये क्या कमाल होगया रब दुनिया जादू भरी लगने लगी 

 जो बरसाया है खुशियो का पैमाना हम से कैसे संभलेगा 

निगाहो का मिलना क्या था तुझ से जुड़ ने का इशारा 

प्यार को  कहते है क्या रंगीन दुनिया 

तलब सी लगी है तेरी बस ये तेरी दीवानगी 

तब से है आया  है उसका मिलने का पैगाम तब से है मचले मचले अरमान,,,,,,,,

होगी कैसी मुलाकात  देखने को है

 मुझ से चुप चुप कर , खुलकर  

या ज़माने से  डर डर कर होगा प्यार का समा 

दिल को कैसे  सँभालु तुझे देखकर बेकरार   ना हो जावु 

मिलने का  ये सुरूर कहीं मुझे पागल ना बनाये 

 आया  है उसका मिलनेका पैगाम तब से है मचले मचले अरमान 

                                                                                 by Sanjay T


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