Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता.....मकडजाल
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
मकडजाल
मकडजाल हे दुनिया सारी, हसते हसते फसती जाती
ये है तेरा वो है मेरा ,ऐसी ही बाते बनती ओर बिगड़ती
बुरा हैै क्या है भला क्या किसको समज़ न आया
बस सूलझे सवालो को उलझते रहै ,याहा वहा भटकते रहे
तूमे क्या नही दिखती संधर्ष की रवानी,
तेरे ओठ़ पर है माया की जूबानी
और तू कितना दूर जायेगा ,कब तक तू दौड पायेगा
,मकडजाल है दुनिया सारी......
अपनी मनमानी करता जायेगा ,
दुसरो के आसुओ पर हसता रहेगा
,झूठेे लोगो का है बोल बाला,
सचाई का है ये खेेल सारा तो जीत तो ज़रूर होगी
कोई तो होगा जो सच्ची राह दिखायेगा
ऐसा एक दिन आयेगा जब नया असमा सजेगा
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