Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता.....मौसम
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
मौसम
ठंडी हवाएं मन गुनगुना ता है
कहता है यह ढूंढे चलो नए रास्ते
मौसम का अजीब सा फलसबा है
ओस में डुबा सारा ज़माना है
कहां से आये है मेहमा नये
पंछियों का आज कल यह नया ठिकाना है
आग की आच पर तप रहे बदन,
चादर ओढ़े घूम रहे लोग
चाय की प्यले के साथ दिन भर गुज़रता है
पाने की बोतल वैसी भरी नज़र आती हैं
ऐसी ही चलती रहेगी ज़िन्दगी.....by sanjay Teli
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