Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता...........नशा
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
 नशा
                                                                                नशे के बाजार मे देखो कैसे बिकती है  ज़िंदगी 
 दम तोड रही है, जवा दिलो  कि दिल्लगी 
मज़ाक  मज़ाक  मै कहने वाले आज आदत से मजबूर होगये है
पल पल साँस    के लिये  मोहताज़  होगये है 
हम किस गम को भूल ने कि कोशिश  कर रह है ,जो हम पर गुज़रा  नही
ऐसे कितने अफ़साने है  जो दर्द को   हार कर आगे  बड़े है 
ज़िंदगी  खूशनूमार है ऊसे,जिंदादिली से जी  लो
तूम ईतने कमजोर नही हो ,ये दुनिया को दिखा दो
खुबसूरत  है  ज़िंदगी   ईतना  तुम जानलो
कितना  भी हो बड़ा  तूफान  एक दिन गुजर जाना है
आओ  इस काटो  भरी ज़ंजीर को  तोड़े , हम खुलके जिये 
                  नशे  के  बाजार  में  अब ना  बिकेगी  जिंदगी.....
                                                                                 by Sanjay Teli 

 
 
 
टिप्पणियाँ