Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता.......दूरी
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
मै दुर जा रहा हु तूझ से अजनबी बनकर
लोटकर ना आऊंगा तू पुकार मुझे अपना कहकर
प्यार का सफर थमा है,दूनियाने और साजिशेने मिलकर
और फिर टूट गया मै जब तूने मूझे पूकारा बेवफा समझकर
फिर मूझे धेरा गमने और तनहाईनेंं
तू तो मेरा यार था, दिल के पार था सदा तू मेरे पास था
यैसे क्या मजबूरी होगयी तुम मुझसे क्यों दूर हो गई
बड़े अच्छे थे हमारे रिश्ते जैसे ओस की बुंदे ओर सहर
किसी तरह से मैंने अपने दिल को समझाया
उसने कहां एक बार उनसे गुफ्तगू कर ले
फिर भी वो ना मानी
फिर दिल ने कहने लगा आज
नहीं कल देखेंगे, बेचारे को क्या पता
जा रहा हूं आज मैं उनसे अजनबी बनकर .....by Sanjay Teli
love hindi shayari
then just click on
👇
https://shayaridilke.blogspot.com
टिप्पणियाँ