Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता..........ऐतबार
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
ऐतबार
वादे तूने हजार किये
पर निभाने के लिए तुम लाचार क्यों हु ये
प्यार हमरा परवान चढ़ रहा था
पर तुम क्यों बेज़ार हो गए
दिल का खेल ऐसा चला हरते गया हम
वफा मेरी नाकाम हुगई
तूने प्यार को जाने क्या समझा,
दिल लुभाने वाला सामान
बाजार में तूने प्यार का सौदा किया
पर से खरीदने वाला कोई दिल वाला नही था
आंखों में आंसू है सीने में दर्द है
इश्क का ये कैसा मेल है
प्यार की राह पर वापस लौटना मुमकिन नहीं है
जिस राह पर हम चले थे वह पैरों के निशान कब मीट गये........by Sanjay Teli
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