Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता............मेरी आँख रोई
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
हर बार मेरी आँख रोई ,जाने किस वज़ह
पर तेरी वफा पर मुझे क्यु यकीन ना हो रहा है
काटो की बाहो में तूने मुझे जकड़ दिया
दूर तूज़ से जाना, चाहत में मेरी कमी तो नही थी
बाहर आई है पर मुझे तो दर्द का ऐहसा होने लगा
ढूंढने लगे तूझ को पास हो के भी ,तुम तो मुझसे
दूर तो नही हो
आईना मुझसे पूछा है मेरे गम का सबब
पर वो तो हाल मेरी मुसकान देखकर समझ गया
और दूर तू ना जा ईतना गम हम ना सह ना सकेंगे
बस प्यार में तेरे मिलावट ना वो,
बस प्यार प्यार की बरसात हो
हर बार मेरी आँख रोई ,जाने किस वज़ह
by Sanjay Teli
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