Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता...........यादों का समंदर
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
ये शहर ने मुजे अब पराया जानकर पहचाना नही ,
तुज़े से लगन यैसी लगी थी खुद से मुलाकात तूने करवाई
गूजरा वक्त तुम्हरे साथ हमने उसे सहज़कार रखा था
जानते थे हम तुम होगें एक दिन ज़ुदा,
प्यार के होंते है दुश्मन हज़ारो,
पर वो गलियों वो बगों साथ साथ
शाम का मंज़र जब होता है तेरे ज़ुल्फो की साये की याद आती है
ना है तेरी साथ फीर भी तेरे एहसास है ,तेरा जाना मुझसे
आ तू लौटकर वापस हो सखे तो
जी लूँगा तेरे लीये आख़री साँस तक
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