Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता...........आचल उस गोरी का
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
आचल उस गोरी का हवा में लहरायें
मनलुभये, चैन चुरिये ,जाने क्यों आधे अधूरे ख्वाब दिखाये
नीली आँखोवाली तुझ में सागर समाया
यैसी खूबसूरती उसकी देखे तो उसे भूलना पाये
उसका साथ पाने को मन ललचा ये
तू ना हुआ मेरा तो उम्र भर हम पछताये
बात उसकी है खास बस तूजसे जुड़ी है आस
बस तूज़ में मैं समाऊ, तेरा बनकर सदा रहू
देखो देखो ,कैसे आचल उस गोरी का लहरायें....
बढ़ती जा रही है नजदीकीया
मील रहा है अपने मिलना का इशारा
प्यार में होती है तखलीपीया
हो लंबी इश्की उम्रईया
साथ उसका होगा सदा मेरे साथ
प्यार मुझे मिलेगा येसा हमने सोचा था
बस खाबो मेरे यार
आज़ तू है मेरे साथ यही तो बात
जसके लिए किया लंबा इंताज़ार
होगी तमन्ना पूरी दुआ करते है खुद से हो प्यार मेरा आबाद
देखो देखो ,कैसे आचल उस गोरी का लहरायें....
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