Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता.....दूर दूर तुम क्यू हो
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
जाने क्यु तुम मुझ से रूठा कर बाहर मेरे ज़िंदगी मे लाई
उम्र गुज़रगई ,मेरी वफा तो तेरे लिये थी
धड़कता था दिल मेरा बस प्यार में तेरा नाम लेकर
मूझको थी बस आस तेरी जाने तब से जब से तू मेरी होगयी।
आएगी तो वापस ये खबर नही है आँख दिन भर भरी होती है
दूर दूर कदम मेरे तुम से जाने लगे है
ईतना परेशान में कभी नही था
और प्यार तेरे बीच फिर से हो जाये ये तमन्ना है
सब कुछ गवारा है मुझे जुदाई तुज़से ना सहेंगे
इस दर्द से हम को न गुज़रना पढे सनम
इसलिए तुम को पलको पर सजाये रखते है
मिल जाये साथ तेरा ये मेरी दिले आरज़ू है
होगी पूरी ये तो तुज़से आस जुड़ी है
जाने क्यु तो मुझ से रूठा कर
दूर दूर तुम जाने कहाँ चले गये........
by Sanjay Teli
सब कुछ गवारा है मुझे जुदाई तुज़से ना सहेंगे
इस दर्द से हम को न गुज़रना पढे सनम
इसलिए तुम को पलको पर सजाये रखते है
मिल जाये साथ तेरा ये मेरी दिले आरज़ू है
होगी पूरी ये तो तुज़से आस जुड़ी है
जाने क्यु तो मुझ से रूठा कर
दूर दूर तुम जाने कहाँ चले गये........
by Sanjay Teli
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