Hindi poem, Hindi kavita ,हिंदी कविता ...........दिदार
Hindi poem, Hindi kavita ,हिंदी कविता
दिदार
ये शाम का आलम ऐसा है ,या तेरे आनेका इंतज़ार
आँखों को सुकून नही मिलता दिन की तो बात नही
रातो को भी कमाल होता है
तुम से नज़र ना मिले तो साँसों को तकलीफ होती है
ना समझ है ये दिल इस से ही इश्क की ज़िंदगी कहते है
थमी थमी सी मेरी राहे और उल्ज़ी दिल की बाते
ये शाम का आलम ऐसा है या तेरे आनेका इंतज़ार
बिखरी ज़ुल्फो को क्या कहे हम
मेरी चाहत को ये समझाते है इन मे तेरा प्यार है
कोई लाख कहे मुझे दूर रोहो इश्क की दुश्मनी से
पर ये तो दोस्ती की जेसी है ,बस साथ साथ रह थे है
तारीफ तेरी हर गली चौबारे सुनी है कोई कहते है
हूर है तू जन्नत की या कयामत है तू कायनात की
अब कहा होता है सब्र उसे ना देखे बिना
कयामत भी आजा ये तो इल्म नही बस उसे एक बार नज़र भर देखु
इसलिये आज की शाम का आलम ऐसा है
रँगनी मिज़ाज़ औऱ शोकीया नज़र है
by Sanjay-Teli
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