Hindi poem, Hindi kavita ,हिंदी कविता , कहानी है बीज की ....read more
Hindi poem, Hindi kavita ,हिंदी कविता
Poem on Natureये कहानी है बीज की, आवो सुनाता हु तुम को दिल से 💜🌰
बीज़ ज़मीन पर गिरा , था इस का मकसद बढ़ बढ़ जाना
और छूकर देखु आकाश को एक बार ऐसा इसने सोचा
कुछ दिन बीते, साथ साथ गिरी बूंदो की बौछार, गगन ने किया ये कमाल
हलचल होने लगी मिट्ठी में बीज ने रंग बदला हरा
मेरी काया होगी कैसी सोचने लगा बीज
धीरे धीरे बढने लगा आ गया ज़मी से होकर पार
बीत गये महीने बीत गये साल बढ़ गया पेड़ अपार
देखी उसने ज़िन्दगी कैसे करवट लेती है
ये तो देखो कैसी बना जंगल का यार
कितना हसीन मौसम रहता था , मुझ पर था पंछी का राज़
गूंज उठता था सारा आलम, कितनी थी रौनक
खुश था सारा माहोल , था सुखी संसार
दूर दूर तक हराभरा जंगल का साया
इंसान का नहीं था कोई यह पर रेला
पर देखने लगे इमारतो के कदम
डरने लगा जंगल अब ख़त्म सारा ये खुशियों का मेला
बीज वाला पेड़ सोचने लगा अब गिरना है फिर से ज़मीन पर
फीर से कहु क्या बीज़ ज़मीन पर गिरा , था इसका मकसद बढ़ बढ़ जाना ......... 🌰🌳
by Sanjay Teli
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