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रह गुज़र....

कोई रह गुज़र मिल जाता मुझे मेरी राह आसान बना देता 

ना इस बात का इल्म होता कुछ खोना पडेगा  


खुशी इस बात की होती वो मुझे दोस्त समझता   

बात बस यहाँ तक बनी रुपियो का  सौदा और अपनापन अधूरा सा 


बसेरे   बनते  नहीं हम जहाँ चाहें साथ तो भरोसे का चाही है 

कोई रह गुज़र मिल जाता मुझे मेरी राह आसान बना देता 


अच्छा था तन्हा सफ़र ,या था  गुमनामों का सेहर   

तुम कहते सीधी बात जो दिल में सुकुन से उतरती 


ढलती शाम भी होती है  नशे से भरकर ,खिलती है सुबह  जोश भरी 

ज़िंदगी की बाते है अनगिनत समझ जाना होगा  मुश्किल ये  सफ़र 


कोई रह गुज़र मिल जाता मुझे मेरी राह आसान बना देता .......

                                                           by Sanjay Teli 


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