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Hindi poem, Hindi kavita , हिंदी कविता मोहब्बतें ताज नवाज़ती हु तुजे शहनशाये मोहब्बतें इतनी तूने इनायत दी है आईना है तू मेरे जिंदगी का इसलिए तू जे देख़ती रहती हुँ जब जब तूजसे बाते होते है, सुद्ध बुद्ध खो जाती है हमारी, यैसी तेरी बातो का आलम होता है सारा संसार मेरे साथ होता है, जब तू हि तू ,हर जगह होता है एक दिन तेरे मेरी बस्ति होगी , उस मे तेरी मेरी अस्थि होगी याद करेगा जब ये ज़माना , शहनशाये मोहब्बतें तूमारा नाम होग. .... by Sanjay Teli ...
नंद किशोर (Poetry on lord Krishna "Nanda Kishor ") गोविंदा रे गोविंदा गोपाल काला गोविंदा रे गोविंदा गली गली में जायेंगे दहीहंडी तोड़ेंगे भीगेंगे झुमेंगे गायेंगे सावन की रिमझीम बरसात में गोविंदा रे गोविंदा गोपाल काला गोविंदा रे गोविंदा अंबर तक ऊँची है मंज़िल हमारी फिर भी हौसले बुलन्द है डरेंगे नही हिम्मत हारेंगे नही तोड़ेंगे दहीहंडी जिस पर नज़र है हमारी गोविंदा रे गोविंदा गोपाल काला गोविंदा रे गोविंदा रहता है इंतज़ार साल भर तो कैसे छोड़ेंगे इस मौके को यार थोड़ी सी मस्ती थोड़ी सी ज़िमेदारी दिल किसी का ना दुखे इस का रखा जाएगा ख़याल गोविंदा रे गोविंदा गोपाल काला गोविंदा रे गोविंदा जोश भरा दिन है उमंग भर भर कर बरस रहा है बन रही है हौसलो की दीवार और उसे ऐसे ही बनाए रखना है नज़र है हमारी और उसे तोड़ना है जो थाम कर खड़ा है आसमान पर यार गोविंदा रे गोविंदा गोपाल काला गोविंदा रे गोविंदा पा लिया हमने लक्ष को और तन भीग गया दूध दही से बोलो जय राधे किशन कन्यैया की गोविंदा रे गोविंदा गोपाल काला गोवि...
ज़िंदगी पर कविता ठंडी हवाएं मन गुनगुना ता है कहता है चलो ढूंढे नए रास्ते मौसम का अजीब सा फलसबा है ओस में डुबा सारा ज़माना है ऊन के कपड़े डटकर तैयार है पहनने को लोग बेकरार है आते है दूर से पंछी ये जाबाज़ हमेशा का ठिकाना है लगता उन्हें घर का एहसास आग की आच पर तप रहे बदन चादर ओढ़े घूम रहे लोग चाय के प्याले के साथ दिन गुज़रता है पानी की बोतल वैसी ही भरी नज़र आती हैं ऐसी ही चलती रहेगी ज़िंदगी. . Poem by Sanjay T ...
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