मिला इश्क तुझ से ... poetry
मिला इश्क तुझ से ... poetry
मिला इश्क तुझ से
और क्या चाहे हम
हम सोच रहे थे और तुम आ गये
पतझड़ में ये बहार कहा से आयी
कितनी प्यारी है तू
बस तुझे देखते ही रहने को जी करता है
मिला इश्क तुझ से
और क्या चाहे हम
यादों में नहीं हर पल हकीगत में रहती है
तुझ मे बस ने को जी करता है
खो गया मन मेरा तेरी इन निगाहों में
कितनी बार इस दिल को समझाया
पर तेरे बातो से ये बच ना पाया
मिला इश्क तुझ से
और क्या चाहे हम
ये पल ये मौसम खुश मिजाज़ लग रहे है
तू हे तो पल भी बेमिसाल लग रहे है
और ये आरज़ू है इस दीवाने की
बस तेरी ही गली मेरा ठिकाना हो
मिला इश्क तुझ से
और क्या चाहे हम
और मैं बात करता रहु बस तेरी
लोग कहते हैं ये दीवाना दीवाना हो गया
शाम ढलते ढलते तू जब नज़र आती है
रात मेरी बस तेरे ख़्वाबो में गुजरती है
मिला इश्क तुझ से
और क्या चाहे हम
और भी सोचता हु होगा ये सफर बस तेरे साथ
तो कुछ और तमन्ना बाकी नहीं रही वो यार मेरे.
मिला इश्क तुझ से
और क्या चाहे हम
Poem by Sanjay T
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