aur kitana batorega Kavita || poetry
और कितनी लालच तेरी बढ़ेगी..Kavita || poetry
और कितनी लालच तेरी बढ़ेगी
क्या लेकर आया है क्या लेकर जाएगा
जीस हालात से तू जो गुज़रा है
इसी तरह से बढ़ चुका है
इसी तरह से बढ़ चुका है
क्या लेकर आया है क्या लेकर जाएगा
जितना तेरे पास था उस में तू खुश था
जितना तेरे पास था उस में तू खुश था
तू भूल चुका है वो कठिन दिन
पर आज तेरे पास हद से ज़्यादा है
आज तेरे पास हद से ज़्यादा है
किस तरह से ये आया है
बस ये राज़ तेरे दिल में चुपा है
बस ये राज़ तेरे दिल में चुपा है
क्या लेकर आया है क्या लेकर जाएगा
पसीने की एक बूंद गिरे बगैर तूने ये कमाया है
पसीने की एक बूंद गिरे बगैर तूने ये कमाया है
ये जो घमंड तेरे सर पर नाच रहा है
ये जो घमंड तेरे सर पर नाच रहा है
तुझे एक दिन लेकर डूबेगा
तुझे एक दिन लेकर डूबेगा
क्या लेकर आया है क्या लेकर जाएगा
तेरी खुशी गम में बदल जाएगी
तुझ से किसी ने उम्मीद तो बांधी होगी
तुझ से किसी ने उम्मीद तो बांधी होगी
वो तूने पूरी नहीं की होगी
तो किसी के सपने तेरे कारण टूटे होंगे
आज तुझे किसी की परवा नहीं है
आज तुझे किसी की परवा नहीं है
क्या लेकर आया है क्या लेकर जाएगा
तेरे पास सब कुछ है
तेरे पास सब कुछ है
इसी बात का तुझे एहसास नहीं है
और कितनी तेरी आस बढ़ेगी
और कितनी तेरी आस बढ़ेगी
क्या लेकर आया है क्या लेकर जाएगा
और कितना तू दलदल में फसेगा
और कितना तू दलदल में फसेगा
जब तू बाहर निकलना आएगा
चाह कर भी तू कर ना पाएगा
चाह कर भी तू कर ना पाएगा
क्या लेकर आया है क्या लेकर जाएगा
देर बहुत देर हो चुकी होगी
तेरा तन तो मिट्टी में मिल जाएगा
तेरा तन तो मिट्टी में मिल जाएगा
और नाम तेरा कर्म के हिसाब से लेंगे ये आम लोग
नाम तेरा कर्म के हिसाब से लेंगे ये आम लोग.
क्या लेकर आया है क्या लेकर जाएगा.
Poem by Sanjay T
aur kitana batorega
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तेरी बढ़ेगी
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