Poetry in Hindi || Kavita in Hindi || Shayari Hindi || sad shayari इश्क की बहार से ये दीवाना दुर रहेगा
Poetry in Hindi || Kavita in Hindi || Shayari Hindi
बोहत दिनो के बाद तेरा दीदार हुआ
भरे हुए ज़ख़्म फिर से ताज़ा हुए
खयाल भर तेरा आता था
तो भी दर्द का कारवा फिर से चल जाता है
दबाए कैसे जज़्बातो को
इश्क सदियों से जो ज़िंदा था
इश्क की बहार से ये दीवाना दुर रहेगा
अब उस बेवफा से ये आशिक बेगाना रहेगा
कैसा ये दीवाना भुलाता तुझे
जुड़ा था रिश्ता बड़े अरमानो के बाद
टुटा था जब से
तब से हाल ये दिल
बेरुखा सा था
ढूंढ़ने लगे थे तुझे
मेरे खोये हुए सुकून को
पर मायूस हो के लौटा हर गली से
किनारा तूने मुझ से जो किया
इश्क की बहार से ये दीवाना दुर रहेगा
अब उस बेवफा से ये आशिक बेगाना रहेगा
समझ नहीं आयी वजह
हर शाम मेरी नम आखो से जो गुज़री
नींद मुझे चुबती थी रात भर तेरे जुदाई के बाद
कहा हम जीते अब सांसों पर मेरा बस नहीं रहा
तेरे साथ छोड़ने के बाद मेरा कुछ भी नहीं रहा
कभी तुझे याद किया तो बड़ा दर्द ही मिला
इश्क की बहार से ये दीवाना दुर रहेगा
अब उस बेवफा से ये आशिक बेगाना रहेगा
नहीं नहीं टुटा नहीं हूँ पर इश्क की लत लगी थी
बेहता रहा मदहोश हो के दुनिया से परे था
तुझ मे जो खोया था जब टुटा साथ तेरा
तो खुद को बेसाहारा पाया
अब नहीं होगा वो मोहब्बत का मंज़र
वो रात चाहत में नहीं दुबेगी
इश्क की बहार से ये दीवाना दुर रहेगा
अब उस बेवफा से ये आशिक बेगाना रहेगा
तेरी बाहो से दूर रह कर बर्बाद हम हो गए
अब तु दूर है यही कड़वी हकिगत है
इश्क मेरे लिए टुटा ख़्वाब है.
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