बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं .... poetry
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं ... poetry
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं
आंख भर आयी और नम भी हो गई
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं
पुराने ज़ख्म फिर से ताजा हो गए
भूले हुए दर्द फिर उभर आए
ज़िंदगी में जो पाया था
तुझे खो के सब कुछ लुट गया
कई दिनों से राते आंखों में जागकर काटी
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं
गुज़रे पल फिर से लौटकर आए
तुझेभूलनी की कोशिश लगता है
नाकाम हो गई
ज़िंदगी गम में डूब गई
नहीं मिला मुझे सुकून जहां जहां भी ढूंढा
तन्हा लौटा हु तेरी गली से
कभी रौनक हुआ करती थी
जाने कहा वो गुम हो गई
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं
तेरा इरादा क्यू मुझे समझ नहीं आया
प्यार मेरा वफा का समंदर था
जहां भी देखू तेरा ही जहा था
कितने अच्छे वो पल थे
खामोशी में बाते होती थी
तेरी आस थी तेरी ही कहानी थी
तू मिल कर मुझ से दूर कहा गई
रुट कर जाने कहा चली गई
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं
पुकारता रहा तुझे बार बार तू जाने कहा खो गई
ज़िंदगी जैसे मेरी बेजार सी हो गई
फुरसत के पलो में भी तुझे ढूंढने लगे
नही हो रहा गुज़ारा तुझे देखे बिना
देखो अब कैसा हाल है
अभी भी तेरा इंतज़ार करते है
तुझ से मिलने की मन्नत करते हैं
जरा संभल जा ये दिल अब वो वक्त पुराना है
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं
आंख भर आयी और नम भी हो गई
बड़े मुद्दत के बाद आप से मुलाकात हो गईं
Poem by Sanjay T

 
 
 
टिप्पणियाँ