Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता...........गर्मी आई
पसीना की धारा बहनी लगी
गर्मी का मौसम केेे साथ,सुरज़ चीढाने लगा
बचो की मस्ति ग्राउंड पर दिखानी लगी
,बागों में आम के पेड़ तो शायद कहा मिले ,
गांव या शहर में उलझे है हम
छुटी का प्लान जाने कब से है
यहा जाना या वहाँ जाना
मेरे पसंद के जगहा घूमे चलो
आम भी जामुन भी मीलिगे
इसेक्रेम के फवारे उड़ेंगे
बच्चो की घर मे ढामाल होगी टीवी तो दिन भर चलेगी
मामा के घर जाना है जाने कब से ये सोचकर रखा है
मेरे घर मे ऐसी नही है फैन से कम चलना है
पानी की कमी होती है ,डर डर भटकते लोग
दुःख होता हे ये देखकर
टैंकर भरा पानी का आया तो लोग भाग उठे है
पानी आया पानी आया ऐसे चीलाते है
थक जाती ज़िंदगी ईस गर्मी से
बह जाता है पसीना पानी बनकर
तो मेरा है कहना इस गर्मी में ज़्यादा पानी है पीना
और पाने जको बर्बाद नही हे करना st
by Sanjay Teli
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