Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता..........सोच कर तेरे बारें में.....


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वापस मुड़कर तुम को देखा तो मैने सोचा तुम से जुदा हुना

याने फीर से ज़िंदगी बेजान हो के जीना

ऐसे भी होता था प्यार में हंमे क्या पता था

हम तो समजते प्यार खुशीयो भारी सौगात है

पर हमे ही क्यू मीली  काटो भरी तमना

इनकार भी मील एतबार भी,  पर उलझे सुलझे सवालो

को हम क्यों सोचने लगे,वापस मुड़कर तुम.....

मुलाकातों का सिलसिला भी कमल का रहा

बार बार मिलना तुम से अच्छा लगने लगा

गरस्ती बरसती बारिश में उन मिलना भी कमाल का था

तुम थी जीसने अपनापन का एहसास दिलाया

नाराज़ क्यों राते होगेई जुदाई तन्हाई तन्हाई लाई

तुम दूर इतनी होगेई आवाज़ तुम को दिया पर असुनी

तेरी मेरी कहानिया होगई,वापस मुड़कर तुम....

क्या थी ज़ुल्फो की दस्तान बस युही उन में खोये रहते थी

यादों को हम कहाँ बुलाएंगे ये तो हरपल हमें सातायेगी

नासमझ थे या बहके बहके थे हम इस प्यार की राह में

यही सोचकर हम कहते है ,वापस मुड़कर तुम देखा ..... st
                                                                          by Sanjay Teli


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