अन चाहे रिश्ते जुड़ने लगे..... poetry shayari in Hindi
अन चाहे रिश्ते जुड़ने लगे..... poetry shayari in Hindi अन चाहे रिश्ते जुड़ने लगे हम क्यू उस में उलझने लगे दिल पर ज़ोर नही रहता चला जाता है उन राहो पर कभी ये हमने सोचा नही था ये हालात उभर कर आयेंगे समझ नहीं आता हम क्या करे चले जा रहे है उस दिशा की और जिस का मतलब अन कहा है जो नही अपना उसे माने खुशी से क्यू की अब वो कहानी जरा सी अच्छी लगने लगी जिस में टूटा बिखरा सा समा है कभी सोचते है चलो सब कुछ भूल कर चले जाए उस अन सोची खूबसूरती की और पर है नही ये रास्ता इतना सुहाना सवाल कही सारे होंगे जवाबो में बेवफा का दर्द होगा कुछ छोड़ना पड़ेगा कुछ भूलना पड़ेगा दिल बेकाबू होने लगा जरा सा परेशान होने लगा मेरी जाने की जिद्द सही या गलत ये सोच अभी भी बरकरार है अगर पीछे मुड़कर देखु तो वफा से भरी ज़िंदगी नजर आती है. Poem by Sanjay T