Hindi poetry || Kavita || poem
इश्क की बात कितने करीब हम दोनों आ गये जैसे नसीब से हम मिल गए बनती बिगड़ ती बात इश्क पर आ के थम गयी अब तो एक दूसरे की आदत सी हो गयी थोड़ा थोड़ा नही बोहत ज़्यादा इश्क हो गया ज़िंदगी में पहली बार ये कमाल हो गया कितनी भी मुश्किलें आये एक दूसरे के साथ रहना है अब तो इश्क को अंजाम तक पौचाना है. Poem by Sanjay T