Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता....दिवानगी
Hindi poem, Hindi kavita,हिंदी कविता
बात तुझमे येसी हे की भरे बाजार मे
बस तू ही खुबसुरत नजर आती हे
ना मिली तूझ से नजर तो दिल तूझे ढूंढ ता है
हर गली,  बागो, पर तु  तो थी मेरी दिल मे छूपी 
तेरी बातो से ऐसा नश घुल मील जाता है
बस यूंही रात दिन गुज़रते है ,
और हम यह सोचकर घर से नीकल ते है की आज पहली मुलाकात है
डर लगता ईस बात का जब जूदाई की बात आती है
सांसों की की रवानी थम जाती है 
           तेरी दीवानगी ऐसे छयेगी जो कभी खतम ना होयी...by Sanjay Teli
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